पति का लंड छोटा होने पर मैं देवर से चुदवाई अपनी चूत
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हैलो दोस्तो मेरा नाम खुशबू है मेरी शादी भी 2024 में राकेश के साथ हो गई थी। और सुहागरात को मेरे पति जब मेरे पास आये तो मैं डर रही थी।
क्योंकि मेरे पति शरीर में अच्छा हट्टे कट्टे दिखाई देते है। लेकिन यहां वह कहावत बिल्कुल फिट बैठती है कि खोदा पहाड़ निकली चुहिया।
जब रात को 11 बजे मेरे पति ने मुझे चोदना चाहा तो मैं भी राजी थी और मैं उनका साथ दे रही थी। उन्होंने मेरी चूत पर उंगली फेरते हुए मुझे गर्म कर रहे थे।
मुझे भी उनका लंड छूने का मन कर रहा था लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हुई। फिर उन्होंने अपने कपड़े उतार कर मेरे ऊपर लेट गये और मेरी गोरी चूत में लन्ड घुसेड़ दिया लेकिन मुझे कुछ फर्क नहीं पड़ा।
वह मुझे चोद तो रहें थे और मुझे भी नशा चढ़ा था , लेकिन मज़ा नहीं आ रहा था ।
फिर मैं बहाना बना कर उनका लंड छूना चाहती थी और पता करना चाहतीं थीं कि लंड कितना लंबा और मोटा है।
मैं उनसे बोला निकालो मुझे दर्द हो रहा है और तुरंत हाथ से उनके लंड को पकड़ लिया और देखा एकदम लूल्ली की तरह था।
फिर मेरा सारा नशा उतर गया और मैं पड़ी रही और फिर मेरा पति मुझे चोद रहा था और कुछ मिनट बाद झड़ गया और फिर हम सो गए।
सुबह हुई और मुझे बहुत ज्यादा चिंता थी कि इसी तरह चलेगा तो मेरी जवानी का क्या होगा । फिर मैंने 10 दिन वहां रहीं पति मुझे रोज चोदता रहा लेकिन मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता था।
फिर मैं अपने मायके गई और एक महीने हो गए और मुझे मेरा देवर मोटरसाइकिल से लिवाने आ गया ।
देवर का मेरे घर पर स्वागत हुआ फिर अगले दिन मुझे बिदा कर दिया गया। देवर मुझे मोटरसाइकिल के पीछे बिठाया और चल दिया।
लेकिन मेरे मन में यही बात बार बार आ रही थी कि मेरी जवानी का क्या होगा मैं इतना उत्तेजित हो गई मोटरसाइकिल पर कि मैं धीरे धीरे अपना हाथ देवर के लन्ड की तरफ रख दिया।
देवर मोटरसाइकिल चला रहा था और मैं उसके आगे पैंट के ऊपर से ही उसके लौड़े को सहला रही थी।
देवर थोड़ा सहमा हुआ था और चुपचाप गाड़ी चला रहा था कुछ समय बाद देवर गाड़ी को धीमा चलाने लगा वहां 40 की स्पीड से मुझे लगा कि शायद देवर मुझे डांटे ना ।
लेकिन वह गाड़ी एक हाथ से चलाने लगा और मेरा हाथ उसके लंड के ऊपर था तो वह मेरे हाथ को सहलाने लगा ।
मुझे यह देखकर बहुत खुशी हुई और फिर मैं रास्ते में ये सब करना ठीक नहीं है फिर मैंने हाथ हटा लिया और देवर से बोला आगे देखकर गाड़ी चलाओ
फिर हम आधे घंटे का सफर करके घर पहुंच गए और रात हुई फिर मुझे वहीं लूल्ली से चुदना था और फिर मुझे 5 दिन तक लुल्ली से मेरे पति ने चोदा और अगले दिन वह परदेश कमाने चलें गए।
अब मुझे अच्छा मौका मिल चुका था देवर जी से चुदवाने का मैंने गाड़ी में ही देवर का लन्ड भांप लिया था।
अब हम घर में 5 लोग थे और कमरे ( मकान) तीन थे, एक कमरे में मैं रहती थी और एक कमरे में देवर और एक कमरे में ननद और सास ससुर।
हम सब लोग शाम का खाना खाकर आपने अपने कमरे में सोने चले गए । रात के एक बज रहे थे और मुझे नींद नहीं आ रही थी मुझे तो बस लम्बे और मोटे लौड़े की जरूरत थी ।
लेकिन देवर से डरेक्ट बोलने में डर लग रहा था मैंने एक उपाय सोचा पहले मैं अपनी पूरी साड़ी उतार दी और ऊपर के दो बटन ब्लाउज के खोल दिया ताकि मेरी जवानी साफ साफ दिखाई दे।
देवर का कमरा बगल में ही था। तो मैं गई और देखा कि दरवाजा खुला हुआ था और देवर अभी तक सोया नहीं था वह सेक्स वीडियो देख रहा था कम आवाज सुनाई दे रही थी।
मैं तीन बार दरवाजा खटखटाया और जाकर आधा दरवाजा खुला छोड़कर अपने कमरे में लेटकर सोने का नाटक कर लिया।
इधर मेरा देवर उठा और बाहर आया तो देखा कि मेरा कमरा खुला है और वह मुझे अधनंगी देखा तो चौंक गया उसने भी यह अनुमान लगा लिया कि मैं हीं ने दरवाजा खटखटाया था और मैं देवर से चोदवाना चाहतीं थीं।
देवर मेरे कमरे में नहीं आया वह पहले बाहर चेक किया की कोई जग तो नहीं रहा फिर जब सब ठीक-ठाक लगा तो वह मेरे कमरे में दबे पैर आ गया।
आने के बाद खड़े होकर मेरी जवानी देख रहा था मेरी आधी चुचिया दिख रही थी और गोरी टांगें दिखाई दे रही थी।
मैं सोने का नाटक किया था फिर देवर ने मेरी जांघों पर सहलाना शुरू किया तो मैं अन्दर ही अन्दर सिहम उठीं।
वह सहलाने सहलाते मेरी चड्डी उतार दी और ब्लाउज की सारी बटन खोल दी अब मैं पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी मेरा देवर मेरी चूत और चूचियों के साथ खेल रहा था और मुझे बहुत मजा आ रहा था।
मैं इतना ज्यादा गर्म हो चुकी थी की मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था मेरी सांसें तेज हो गई और मैं सिसकारियां निकलने लगी आह्हह ऊह्ह्ह करने लगी और मेरी चूत में आग लगी थी।
लेकिन मैंने आंखें नहीं खोली और इंतजार किया मेरा देवर मेरी सिसकारियां देख रहा था वह बिल्कुल समझ चुका था कि मैं सोने का नाटक कर रही थी । वह अपने पूरे कपड़े उतार देता है ।
कपड़े उतार कर मेरे टांगों के पास आकर मेरी चूत पर लंड रख दिया तो मेरी शरीर कांप गई लेकिन मेरा देवर मुझे समझ रहा था कि भाभी फुल्ल नशे में हैं लेकिन वह लन्ड अन्दर नहीं घुसेड़ रहा था ।
वह सिर्फ मेरे चूत पर रगड़ रहा था और मुझे तड़पा रहा था मेरी चूत से रस टपक रहा था और जैसे भट्ठे में आग लगी हो ऐसे मेरे चूत में लगी थी ।
वह काकी देर तक रगड़ें जा रहा था और मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था फिर मैं हिम्मत करके उससे बोली देवर जी मुझसे रहा नहीं जाता मुझे चोद डालो ।
शायद वह इसी इन्तजार में था और बोला भाभी मैं तो आपका इन्तजार कर रहा था कि आप खुद बोलो चोदने के लिए ।
फिर मेरे देवर ने धीरे धीरे अपना लन्ड घुसेड़ दिया उसका लंड काफी मोटा और लम्बा था शायद इसी लंड की मुझे जरुरत थी ।
वह मुझे चोदना सुरु कर दिया और मेरी चूचियां मसलने लगा मैं वोह्ह याह्ह्ह वोह्हह् करके चुदवा रही थी
अब मैं सातवें आसमान पर थी और मुझे बहुत मजा आ रहा था मैं देवर से बोलीं देवर जी आज मुझे इतना चोदो इतना चोदो की मैं सुबह उठ ना पाउ फाड़ दो मेरी चूत और बना दो भोंसड़ा ।
मैं सिसकारियां भरे जा रहीं थीं आह्हह वोहह और जोर से वोह्ह
वह मुझे जोर जोर से चोदे जा रहा था और मैं मजे लेकर चोदवा रहीं थीं ।
फिर मैं बोली देवर जी रूको मैं घोड़ी बन जाती हूं फिर मुझे चोदो मैं तुरंत घोड़े मत गई और मेरा देवर अपना मोटा काला लन्ड घुसेड़ दिया लन्ड इतना बड़ा था कि मेरे पेट पर लग रहा था लेकिन मुझे इतना नशा था की लगता था मुझे बस चोदते जाओ ।
मैं देवर से बोला देवर जी और जोर से चोद साले तेरा भाई तो छक्का निकला उसकी लुल्ली किसी काम की नहीं है मैं तुझसे रोज चोदवाउगी बोल चोदेगा ना।
देवर ने मेरी गांड़ पर हांथ से एक थप्पड़ मारकर बोला हां रंडी मैं तुझे रोज तीन बार चोदूंगा।
वह मुझे जोर जोर से चोद रहा था और पूरे कमरे में फच््च फच्च की आवाज गूंज रही थी मैं भी देवर जी का साथ दे रही थी और अपनी कमर आगे-पीछे करके चुदवायें जा रही थी।
दरवाजा आधा खुला था घर के बाहर आंगन था वहीं आंगन से ही तीनों कमरे के दरवाजे दे और सबसे बाहर का सिर्फ एक ही दरवाजा था।
देवर जी मुझे जोर जोर से चोद रहे थे और मुझे गाली दे रहे थे तभी अचानक मेरी ननद मूतने के लिए कमरे से बाहर निकलीं वह दरवाजा खोलते ही हमें देख लिया और हमने उसको भी देख लिया।
लेकिन देवर जी मुझे और जोर जोर से चोदने लगा इधर ननद बिना अचाम्भा के आंगन पर बनीं नाली पर पैजामा खोल कर मूतने लगी और हमारी तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी।
वह हमें देख रही थी और हम उसे देख रहे थे और देवर मुझे जोर जोर से चोदे जा रहा था।
फिर ननद मूत कर अपने कमरे में चली गई और सो गई इधर मुझे बहुत अजीब लगा तो मैं देवर से पूछा ऐ क्या था।
तो उसने बोला कि तेरी ननद को ऐ पहले से ही पता था जब मैं तुमको तुम्हारे मायके लिवाने गया था तो रास्ते में तुम मेरा लंड सहला रही थी तो मैं यह सब बातें तुम्हारी ननद को बताया था ।
मैं बोली मैं कुछ समझीं नहीं तो देवर ने बोला मैं इस तेरी ननद को कई बार चोद चुका हूं इसलिए वह मुस्कुराई और चली गई।
मैं समझ गई कि यह घर नहीं रंडीखाना है और मैं जोर जोर से फिर चुदवाने लगी और देवर जी मुझे जोर से चोद रहा था।
मैं देवर से बोली मैं झडने वाली थी और स्पीड बढ़ा दो। फिर देवर जी ने 150 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से मुझे चोदना शुरू किया।
मेरी चूत से फच्च फच््च की आवाज आ रही थी और मैं देवर से बोलीं मेरा अमृत निकल रहा है फिर क्या था एक लम्बी पिचकारी मेरी चूत से निकली और मेरी शरीर शून्य हो गई।
फिर देवर जी ने मेरी चूत से लंड निकाला और मेरे मुंह के पास आकर बोलें लें रंडी अभी तक देरी ननद को यह क्रीम खिला रहा था अब तू भी खा आख़िर तेरा भी कुछ हक है ।
मैंने मना कर दिया क्योंकि मैंने कभी मुंह में लन्ड नहीं लिया था। फिर देवर जी जबरदस्ती मेरे मुंह में पूरा लंड घोसेड दिया और मुझे चूसने के लिए बोला।
मेरे पास कौन चारा नहीं था तो मैं उसका लंड जोर जोर से चूसने लगी और कुछ देर बाद उसकी पूरी मलाई मेरी मुंह में निकल गई।
और मैं थूकना चाहा तो वह मेरा मुंह पकड़कर बोला इसको खराब मत कर पी जा इसको फिर से पूरी लस्सी निगल गई ।
अब देवर जी मुझे रोज चोदते है, ननद और मुझे बहुत मजा देते हैं।
अगर ये चुदाई की कहानी आपको अच्छी लगें हों तो अपनी राय कमेंट में जरुर लिखें और मेरी ननद की चुदाई कहानी चाहिए तो कमेंट करें।
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